भटक न जाना अपने पथ से
ऐ राही | तू चल संभल के
राह भरी हैं शूल शर से
मत घबराना इनके डर से
हँसता हैं तो हँसे ज़माना
मत घबराना बस चलते जाना
मुश्किलों की परवाह न करना
हालातों से तू न डरना
खुद को आजमाना और चलते जाना
बस रुक न जाना बीच सफ़र से
फिर एक दिन वो भी आएगा
ये आसमाँ होगा तेरे कदमों में
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ये प्रतियोगिता दर्पण से ली गयी थी लेखक का नाम मुझे अच्छी तरह से याद नहीं हैं
ये प्रतियोगिता दर्पण से ली गयी थी लेखक का नाम मुझे अच्छी तरह से याद नहीं हैं